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सरकार का बड़ा फैसला, जमीन मालिक खुद कर सकेगा डायवर्सन सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया तो 1 लाख रुपए का जुर्माना

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*इंदौर:-बाबा यादव*
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश के राजस्व मंत्री ने एक नया आदेश जारी कर राजस्व अफसरों की नीद उडा दी है। इधर भू माफियाओं को नए आदेश से सीधा लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार  ने भूमि डायवर्सन के लिए जो नया आदेश जारी किया है उसके अनुसार अब किसी भी भू स्वामी को अपनी जमीन के डायवर्सन के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व क ी कोर्ट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी ।
प्रदेश के राजस्व मंत्री उमाशंकर भार्गव ने एक आदेश जारी कर सरकारी विभागों में पदस्थ राजस्व अधिकारियों की काली कमाई को धराशायी करने का कार्य किया है। मंत्री के आदेश से भू स्वामियों को राहत तो मिली है मगर इससे भू माफिया जरूर फायदे में रहेंगे। मंत्री गुप्ता के आदेश के अनुसार भूमि के डायवर्सजन के लिये अब किसी को भी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। अब भूमि स्वामी अपनी भूमि का विधि-सम्मत जैसा चाहे, डायवर्सन कर सकेगा। उसे केवल डायवर्सन के अनुसार भूमि उपयोग के लिये देय भू-राजस्व एवं प्रीमियम की राशि की स्वयं गणना कर राशि जमा करानी होगी और इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी को देनी होगी। यह रसीद ही डायवर्सन का प्रमाण मानी जायेगी।  इस संबंध में विधानसभा में मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2018 पारित किया जा चुका है।
भू-राजस्व संहिता में अब तक हुए 58 संशोधन
सरकार ने मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता-1959 में अब तक 58 संशोधन किये जा चुके हैं। इसके बाद भी जन-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये जरूरी संशोधनों के सुझाव के लिये भूमि सुधार आयोग गठित किया गया था। आयोग के सुझावों के आधार पर भू-राजस्व संहिता में संशोधन किये गये हैं।
*नामांतरण के बाद मिलेगी नि:शुल्क प्रति*
नए नियमों के तहत डायवर्सन के बाद जब भूमि का नामांतरण का आदेश जारी होगा तब सभी संबंधित पक्षों को आदेश और सभी भू-अभिलेखों में दर्ज हो जाने के बाद उसकी नि:शुल्क प्रति दी जायेगी। यह प्रावधान भी किया गया है कि भूमि स्वामी जितनी चाहे, उतनी भूमि स्वयं के लिये रखकर शेष भूमि बाँट सकेगा।
*अधिकारियों पर भरोसा नहीं,निजी एजेंसी करेगी सीमांकन*
सीमांकन के मामले होने वाले विवादों या जादूगरी को रोकने के लिए अब निजी प्राधिकृत एजेंसी की मदद ली जायेगी। प्रत्येक जिले के लिये एजेंसी पहले से तय की जायेगी। यदि तहसीलदार द्वारा सीमांकन आदेश के बाद पक्षकार संतुष्ट नहीं है, तो वह अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन कर सकेगा। पहले यह मामले राजस्व मण्डल ग्वालियर में प्रस्तुत होते थे।
भू-सर्वेक्षण अध्याय -8 को हटाया
ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में राजस्व सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त से संबंधित रहे भू-राजस्व संहिता के अध्याय-7 एवं 8 को हटाकर एक अध्याय-7 भू-सर्वेक्षण के रूप में रखा जा रहा है। अब राजस्व सर्वेक्षण के स्थान पर भू-सर्वेक्षण की कार्यवाही कलेक्टर के नियंत्रण में करवाई जायेगी। इससे पूरे जिले को भू-सर्वेक्षण के लिये अधिसूचित करने की जरूरत नहीं रहेगी।  खसरे में छोटे-छोटे मकानों के प्लाट का भी इंद्राज हो सकेगा।
*अतिक्रमण पर एक लाख का जुर्माना*
सरकार ने अब शासकीय भूमियों पर अतिक्रमण के मामलों में अधिकतम 1 लाख रुपये ,निजी भूमियों के मामले में 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा है इसके साथ ही जिस भूमि पर अतिक्रमण होगा, तो अतिक्र मण करने वाले  से 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष के मान से मुआवजा भी दिलाया जा सकेगा।
पटवारी हल्का सिस्टम खत्म, सेक्टर से होगी पहचान
भू-अभिलेखों के संधारण तथा शहरी भूमि प्रबंधन को अधिक व्यवस्थित बनाने के लिये शहरी क्षेत्रों में अब पटवारी हल्के के स्थान पर सेक्टर का नाम दिया जायेगा। आयुक्त भू-अभिलेख को सेक्टर पुनर्गठन के अधिकार होंगे।भू-अभिलेख संधारण के मामलों में ऐसी भूमियाँ, जिनका कृषि भूमि में कृषि से भिन्न प्रयोजन के लिये डायवर्सन कर लिया जाता है, उन्हें नक्शों में ब्लाक के रूप में दशार्या जायेगा। यदि अनेक भूखण्ड धारक हैं, तो उनके अलग-अलग भू-खण्ड दशार्ये जायेंगे।

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