डीएनयु टाईम्स (राजेंद्र परिहार, उज्जैन)
डॉक्टर सोनानिया बहुत ही सरल और सहज स्वभाव के होने के साथ-साथ वे बहुत ही काबिल चिकित्सक हैं । उन्हें अपनी काबिलियत और विशेषज्ञता पर पूरा भरोसा है। जब उज्जैन में आइसोलेशन में किसी डॉक्टर ने हिम्मत नहीं दिखाई तब वही सबसे पहले अपने देश की सेवा और मानव जाति को बचाने के लिए आगे आए। आज वैश्विक महामारी में भारत भी संकट में है। संकट की इस घड़ी में वे अपने देश के लोगों की जान बचाने के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर मोर्चा संभाले हुए हैं। देश ऐसे चिकित्सकों को सलाम करता है। वास्तव में अन्य सभी चिकित्सकों को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर अन्य चिकित्सकों को भी मानव जाति और अपने देश के प्रति कर्तव्य का पालन करना चाहिए । चिकित्सकों का उद्देश्य ही वास्तव में मानव जाति को बचाना और उनकी सेवा है। यह शाश्वत सत्य है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। इसीलिए चिकित्सकों को ईश्वर की संज्ञा दी गई है । ऐसे समय में मानव जाति को भी चिकित्सकों का उपकार मानना चाहिए।
यह बात भी सही है कि आज के युग में चिकित्सा मात्र रुपए कमाने का जरिया बन गया है । चिकित्सा के पेशे में मानव जाति की सेवा बहुत पीछे छूट गई है। डॉ सोनानिया ने जो जिंदादिली दिखाई है वह कई अन्य डॉक्टर भी नहीं दिखा सके ।