*इंदौर:-बाबा यादव*
प्रदेश सरकार ने अपने 15 साल के कार्यकाल में गरीबों छोटे कारोबारियों के लिए समय समय पर कल्याण कारी योजनाएं शुरू की थी मगर अब चुनाव के ठीक पहले सरकार ने अपनी तीन पुरानी योजनाओं को बंद कर मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में समाहित कर दिया है।
सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को चालू करने और उन्हे चुनाव के ठीक पहले बंद करने के सरकार के फार्मूले से आम लोग चौक से गए है। सरकार ने अपनी तीन योजना हाथ ठेला एवं सायकिल रिक्शा चालक कल्याण योजना 2009 , पथ पर विक्रय करने वाले स्ट्रीट वेंडर के लिए कल्याण योजना 2012 और केश शिल्पी कल्याण योजना 2013 को बंद कर इन्हे मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में शामिल कर दिया है। शर्तो के साथ समाहित की गई इन योजनाओ को लेकर कहा गया है कि योजना में लाभ पाने के लिए आय सीमा के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हितग्राही को (बीपीएल) ही पात्र माना जाएगा।
सरकार ने तीनों योजनाओं के साथ मुख्यमंत्री शहरी घरेलु कामकाजी महिला कल्याण योना 2009 के तहत पात्रता हेतु गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने की शर्त को हटा दी गई है। अब इस योजना का लाभ हर वर्ग का व्यक्ति या महिला ले सकेगी। इसके अलावा जो एक शर्त रखी गई है कि योजनाओं के तहत व्यवसाय के आधार पर पात्रता का निर्धारण पूर्व की भांती हितग्राही को लाभ दिया जाए। यह शर्त अभी अधिकारियों को भी समझ में नहींं आ रही है। सरकार के नए आदेश का पालन करने के लिए अब स्थानीय स्तर पर अधिकारी पूरे नियमों को फिर से अध्ययन करने में जुट गए है।
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