*एमपीपीएससी 2019 में विवाद,रिजल्ट पुनः घोसित करने व रोस्टर सिस्टम हटाने की मांग को लेकर आज मप्र अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ व छात्रों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया व आयोग को ज्ञापन सौंपा*
*इंदौर:-संजय यादव (बाबा)* वर्तमान में मध्यप्रदेश में आरक्षण रोस्टर प्रणाली में हो रही विसंगति के संदर्भ में एवं मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अनारक्षित संवर्ग से नियम विरुद्ध 40% सीट आरक्षित किए जाने बाबत एवं न्यायालय आदेश अवमानना अधिनियम,1971 के उल्लंघन को लेकर सोपा ज्ञापन बताया गया कि दिनांक 21 दिसंबर को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का रिजल्ट घोषित किया गया।
रिजल्ट में व्यापक विशंगति देखने को मिली।
अनारक्षित से 137 x 26 गुना= 3613
अनारक्षित से बुलाए गए 26.37 गुना उम्मीदवार।
अन्य सभी वर्ग से 15 गुना एवम् समान अंक धारी
अनारक्षित- 137 पद x 26.37गुना=3613 एवं समानअंक
एससी- 79 पद x15 एवम् समान अंक=1311
एसटी-102 x 15=1645 15 गुना एवं समान अंक
ओबीसी-196x 15=3228 15 गुना एवं समान अंक
EWS-57x 15=970 15 गुना एवं समान अंक
कुल 571पदों के विरुद्ध 15 गुने एवम् समान अंकधारी 10767 अभ्यर्थियों का चयन मुख्य परीक्षा हेतु किया गया है। एक ही परीक्षा के लिए अनारक्षित एवम् आरक्षित वर्ग के बीच अलग अलग मापदंड क्यूं?
किसी वर्ग से 26 गुना एवम् किसी वर्ग से 15 गुना?
जिससे राज्य प्रशासनिक सेवाओं के संवैधानिक भर्ती अभिकरण एमपीपीएससी की एवम् सरकार की सबसे बड़ी विसंगति एवम् धांधली उजागर हो रही है।
इसके अलावा हाल के ही 18dec 2020के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया है कि अनारक्षित श्रेणी सबके लिए मेरिट का आधार है अफरा तफरी में बिना आदेश का पालन किए हुए तुरंत 21 दिसंबर की रात रिजल्ट जारी कर दिया गया।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी अनारक्षित श्रेणी एवं ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का कट ऑफ एक समान 146 अंक कैसे हो सकता है?
146 अंक वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र को मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में समायोजित क्यों नहीं किया गया?
इसके साथ ही एक सबसे बड़ी विसंगति सभी आरक्षित वर्ग की महिलाओं एवं पुरुषों के साथ में हैं। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि अगर किसी आरक्षित वर्ग से कोई महिला या पुरुष अनारक्षित वर्ग से ज्यादा अंक प्राप्त करती या करता है है ,तो उसे मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में समायोजित किया जाए। इसकी बजाय महिलाओं को उन्हीं के कोटे एससी /एसटी/ ओबीसी/EWS के हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन कोटे के अंदर ही सीमित कर दिया गया। जिससे 33% महिलाओं के रिजर्वेशन को उन्हीं के पुरुष वर्ग के अभ्यर्थियों के कोटे में सीमित कर दिया गया है, जिससे प्रत्येक श्रेणी में महिला एवं पुरुष अभ्यर्थियों के कट ऑफ में असंभावित नियम विरुद्ध वृद्धि हुई है।
जो कि न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत एवं संविधान की आरक्षण की मूल भावना के खिलाफ है।
अगर कोई अभ्यर्थी चाहे वह किसी भी कोटे से हो अगर ज्यादा अंक प्राप्त करता है तो उसे मेरिट स्थान देने से नहीं रोका जा सकता।
इसी प्रकार की विसंगति अब आगे मुख्य परीक्षा एवं अंतिम चयन के समय एवं नवीन भर्ती विज्ञापन मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग 2020 परीक्षा के साथ भी होगी।
क्योंकि कई आरक्षित वर्गों का आरक्षण प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर नहीं दिया गया है इसके बावजूद भी उन्हें कम कोटे के अंदर सीमित किया जाता है तो यह सामाजिक न्याय की मूल भावना एवं चयन के मेरिट आधार के खिलाफ है।
वर्टिकल आरक्षण वंचित वर्गों को संविधान के समतामूलक न्याय के आधार पर प्रदान किया गया है। इसी के अंतर्गत 33% महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए होरिजेंटल आरक्षण का प्रावधान है इसके बावजूद भी जो महिलाएं /पुरुष मेरिट आधार पर चयन प्राप्त करते हैं उनको मेरिट स्थान अनारक्षित वर्ग में योग्यता के आधार पर स्थान प्राप्त करने का पूरा अधिकार है।
उदाहरण स्वरूप -आरक्षण परिसीमन ना होने के कारण ओबीसी वर्ग की 52% जनसंख्या को 14% आरक्षण में सीमित कर दिया जाना कहां तक उचित है?
*इस प्रकार की प्रणाली से वर्गवार आरक्षण निम्न प्रकार से है:-*
वर्ग जनसंख्या% (स्रोत:census 2011) आरक्षण%
सामान्य/ 12.3 (40+10)%
EWS 50%
OBC 51.09% 14%
SC 15.51% 16%
ST 21.1% 20%
माननीय से अनुरोध है कि विसंगत रोस्टर को नष्ट करके एमपीपीएससी परिणाम पर अविलंब रोक लगाकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करा कर संशोधित परिणाम सूची तत्काल जारी की जाए।
तब तक मुख्य परीक्षा आवेदन फॉर्म पर तुरंत रोक लगाई जाए।