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Home / मध्य प्रदेश / *श्योपुर कॉलेज की कम्प्लेन शिक्षामंत्री, सीएम, कुलपति व उच्चशिक्षा आयुक्त को प्रोफेसरों में रोस* *कोविड महामारी में विभाग ने छीन लिया प्रोफेसरों के मुह का निवाला कॉलेज के वरिष्ठ अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्यवाही* *कॉलेजो को करोड़ो का आवंटन स्थिति जस की तस पैसा जमीन निगल गई या आसमान*

*श्योपुर कॉलेज की कम्प्लेन शिक्षामंत्री, सीएम, कुलपति व उच्चशिक्षा आयुक्त को प्रोफेसरों में रोस* *कोविड महामारी में विभाग ने छीन लिया प्रोफेसरों के मुह का निवाला कॉलेज के वरिष्ठ अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्यवाही* *कॉलेजो को करोड़ो का आवंटन स्थिति जस की तस पैसा जमीन निगल गई या आसमान*

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*श्योपुर कॉलेज की कम्प्लेन शिक्षामंत्री, सीएम, कुलपति व उच्चशिक्षा आयुक्त को प्रोफेसरों में रोस*

*कोविड महामारी में विभाग ने छीन लिया प्रोफेसरों के मुह का निवाला कॉलेज के वरिष्ठ अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्यवाही*

*कॉलेजो को करोड़ो का आवंटन स्थिति जस की तस पैसा जमीन निगल गई या आसमान*

*श्योपुर, ग्वालियर:-* कोविड-19की धातक महामारी ने इंसान को जमीदोज कर दिया है। प्राइवेट से लेकर शरकारी कर्मचारियों की हालत बद से बत्तर हो रही है। जंहा एक और सरकारी नोकरी करने वाले सरकार के प्रति सजग रहने वाले अपने आप को सुरक्षित महशुस कर रहे थे उनके काम को भी चन्द अधिकारीयो ने ग्रहण लगा दिया है। जबकि ऐसी घातक महामारी दिन ब दिन अपने पांव पसार रही है वँहा सीएम से लेकर उच्चशिक्षा मंत्री तक बेतुके फरमान जारी कर प्रोफेसरों की जान जोखिम में डाल रहे है। जबकि स्थिति ये है कि स्कूल कॉलेजो को मुख्य रूप से बंद करदिए जाने के बावजूद बिना किसी कार्य के साप्ताहिक तो कंही बिना रूटीन ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है। इसमें सरकार की यही मनसा है कि कोई कोविड से अछूता न रहे । जमीनी स्तर पर हो यह रहा है कि प्रोफेसरों को सिर्फ और सिर्फ बिना कार्य के साइन करवा कर चन्द प्रिंसिपल पूरा दिन बिठाए रखते है और हाजरी रजिस्टर जब्त कर उसे शुभः से शाम तक अपने पास रख रहे है बेचारे प्रोफेसर अपनी प्रजेंट लगवाने के चक्कर मे पूरे दिन तपती गर्मी व बिना पँखो के होल केबिन में बेट कर रजिस्टर का इंतजार करते नजर आ रहे है और चन्द इन कॉलेजो के प्रिंसिपल व वरिष्ठ प्रोफेसर घण्टो अपने ऐसी वाले केबिनों में बेट कर टीवी पर दिखाई जा रही खबरों से चटकारे ले ले कर ठिठोली करने से बाज नही आ रहे है । श्योपुर के अग्रणी व आदर्श कन्या महाविद्यालय के तो ये हालात है कि करोड़ो का बजट आने के बाद भी स्थिति बद से बत्तर है।
*कन्हा गया करोड़ो का कॉलेज बजट*
जी हां पिछले 5 वर्षों से आदर्श कन्या महाविद्यालय श्योपुर का काम जारी है लेकिन राशि अति है और गायब हो जाती है अभी तक बालिकाओ का महाविद्यालय शुरू नही हो पाया है आज भी बच्चियों को बॉयज के कॉलेज का ही सहारा है शासन ने गर्ल्स कॉलेज के लिए प्रोफेसर की भर्ती तो कर ली लेकिन कॉलेज के अब तक पटे नही है। लाखो रुपये आवंटित होने के बाद भी प्रशासन नही दे रहा है ध्यान ये पैसा आखिर किसी जेब गरम कर रहा है यँहा के कर्ता धर्ताओं की या फिर विभाग के चंद चाटूकारिता करने वालो की इस और शासन को विशेष तौर पर ध्यान देना होगा।
*वर्षो से एक महाविद्यालय में दो महाविद्यालय चला रही है शरकार*
*महिला स्टाफ व बच्चियों को पीने व टॉयलेट तक का नही मिल रहा पानी*
जी हां कहने को महाविद्यालय और दूसरी तरफ बेटी की सुरक्षा का राग अलापने वाली सरकार ने यँहा बेटियों को गर्त में धकेल रखा है। यँहा के प्रिंसिपल की लापरवाही व निःसजक्ता की वजह से पीने को पानी भी नही है तो टॉयलेट में पानी की कोई सुविधा नही वन्ही साफसफाई तो कोसो दूर है ऊपर से न क्लास रूम न स्टाफ रुमो में पंखे और प्रिंसीपल के केबिन में 3 टीवी एक ऐसी एक पंखा सारी सुविधाओ से लैस ये क्या जाने अन्य स्टाफ की दुर्दशा यँहा तो सिर्फ और सिर्फ किसे किस तरह से काटा जाए बस इसके ही ऐसी में बेट कर प्लान बनाए जा रहे है।
*पर्याप्त राशि हुई आवंटित फिर भी नही खुला कॉलेज तो नही कोई सुविधाएं जांच का विषय*

साल दर साल बीतते जा रहे है लेकिन स्थिति जस की तस लाखो रुपए सरकार ने आवंटित किए लेकिन काम 10 पैसे का नही दिख रहा है। सूत्रों का तो यँहा तक कहना है कि प्रदेश का अंतिम जिला होने और एकतरफ हो जाने की वजह से प्रशासन जरा भी इस और ध्यान नही दे रहा है यहां आए दिन शासन कॉलेजों का ढर्रा सुधारने व आदर्श महाविद्यालय शुरू करने के लिए लाखों रुपए जारी कर रहा है लेकिन ये पैसा आखिर जा कन्हा रहा है ये जांच का विषय बन गया है। सूत्र बताते है कि यँहा अभी कुछ समय पहले ही कॉलेज को 50 से 70 लाख आवंटित होने की बात सामने आई है लेकिन उस पैसे में चन्द कबर्ड व कुर्सियां ही कॉलेज में पँहुची है बाकी पैसा कन्हा लगा है यह किसी को पता नही। इस मामले में शासन, प्रशासन को उच्चलेवल की जांच बिठाना चाहिए या इसका सम्पूर्ण हिसाब जग जाहिर किया जाना चाहिए आखिर लाखो के आवंटन के बावजूद बालिकाओ का कॉलेज अलग से क्यो नही खुल रहा है जबकि बायपास पर कॉलेज बन कर तैयार है इसे देखते हुए तो यह कय्यास भी लगाए जा रहे हैं कि मिलीभगत की वजह से कॉलेज शुरू नही किया जा रहा है अगर गर्ल्स कॉलेज शुरू हुआ तो बॉयज से अलग हो जाएगा और चन्द वरिष्ट स्टाफ की एक तरफा गाड़ी ऊपरी कमाई के दरवाजे बंद हो जाएंगे आप पाठक खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि जब गर्ल्स कॉलेज 2 वर्षो से तैयार है तो छोटे से काम का रोड़ा लगा कर उसे खुलने नही दिया जा रहा है। आखिर क्यों और कौन है इसके पीछे….? गम्भीर है मगर है जांच का विषय अब देखना होगा कि उच्च अधिकारियों या नेताओ के कान पर जूं रेंगती है या नही

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