*इंदौर:-बाबा यादव*
सजायाफ्ता महिला अपराधियों के साथ रह रहे बच्चों को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इसके लिए सेंट्रल जेल में अगले सप्ताह सेंटर खोला जाएगा। फीलहाल 2 से 10 साल के 35 से अधिक बच्चे अपनी मां के साथ बंदी के रुप में जीवन काट रहे हैं। जेल में ही इन बच्चों के लिए आंगनवाड़ियों भी शुरू की गई है।
जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया कि इन दिनों सभी शासकीय सेवाओं का लाभ लेने में आधार कार्ड की महती भूमिका है। ऐसे में कैदियों को भी आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है, ताकि कम सजा वाले कैदी बाहर निकलकर कार्ड का उपयोग कर सकें। कार्ड बनने से उनकी पहचान व निवास के पते में भी आसानी रहेगी। वहीं, आजीवन कारावास व फांसी की सजा पाए कैदियों को इसका लाभ नहीं दिया जाएगा। सीआई जेल में विभिन्न प्रकरणों में सजा काट रही 50 से अधिक महिला कैदी है। इनमें से महिलाओं के साथ 35 बच्चे हैं, जो जेल में ही रहते हैं। इन महिलाओं में अधिकांश कम सजा पाने वाली है। ऐसी महिलाओं की सूची तैयार की गई है, इनके साथ रहने वाले बच्चों का आधार कार्ड बनाया जाना प्रस्तावित है। कलेक्टर निशांत वरवड़े के आदेश के बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी है। संभवतया अगले सप्ताह जेल में शिविर लगाकर बच्चों के आधार कार्ड तैयार किए जाएंगे।
1 से 5 वर्ष तक के बच्चों को जेल के जीवन से दूर रखने महिला बाल विकास विभाग ने यहां मिनी आंगनवाड़ी संचालित की है। आंगनवाड़ी के माध्यम से बच्चों को पोषण आहार भी दिया जा रहा है। वहीं बच्चों के लिए खिलौने की व्यवस्था भी की गई है।
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