*खरगोन में पत्रकारो पर हुई FIR*
*चौथे स्तम्भ को ढहाने की कोसिस खनिज अधिकारी से सवाल जवाब करने पर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज*
*प्रभारी मंत्री व सांसद गजेंद्र पटेल आए सामने तो नही हुई अब तक जांच*
*कलेक्टर ने भी नही सुनी बात आवेदन को लांघ कर चले गए गए नही दिया जवाब कार्यवाही की मांग*
*(खरगोन:-संजय यादव बाबा)*
खरगोन:-जी हां हम ही नही तमाम जनता हर वो शख्स जो आम व खास है कहते हैं कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. पत्रकार जनता की आवाज है और आम जनता की आवाज बनकर सत्ता में बैठे उच्च पदों के लोगों तक उनकी समस्या पहुंचा कर अपने दायित्व का निर्वहन करता है
ये कोई नया मामला है हम बता दे कि शहर खरगोन में ही नही अपितु पूरे प्रदेश में ये शासकीय अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है इससे पहले भी ऐसा देखा गया है कि कई बार पत्रकार के सवाल-जवाब को ये अधिकारी जब फसी में आते है तो इनका सीधा आरोप होता है कि “शासकीय कार्य में बाधा” आखिर जब यह पत्रकारों के साथ हो रहा है जो चौथा स्तम्भ तो है ही जन्ता की आवाज भी है जब ये पत्रकारों के साथ हो रहा है तो क्या होता होगा आम जन के साथ।
*ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश में सामने आया*
प्रदेश के खरगोन जिले में 6 पत्रकारों पर खनिज अधिकारी से अवैध उत्खनन के मामले में सवाल-जवाब करने पर एट्रोसिटी एक्ट और शासकीय कार्य में बाधा डालने के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। तो सरकार बताए कि खनन जैसे गम्भीर मामले में सवाल करना क्या शासकीय बाधा है…..? एक तरफ तो मुख्यमंत्री जी ही खनन को लेकर बयान बाजी और गाड़ने की बात करते है और दूसरी तरफ उनके अधिकारियो की ये हरकत
मामले में खरगोन के पत्रकारों का कहना है कि सवाल का जवाब अधिकारी नहीं देना चाहते थे। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो में सामने आया है और इसी वीडियो की वजह से हमारे ऊपर एफ आई आर दर्ज कराई गई है.
पत्रकारों के हित की रक्षा करने की बात कहने वाले शिवराज सरकार में पत्रकारों के ऊपर इस तरह से एफ आई आर दर्ज किए जाना मतलब साफ है कि उक्त सरकार ऐसे भृष्ट अधिकारियों को बचा रही हैं..या कहे सह दे रही है
*हम सरकार से पूछते है कि क्या अगर पत्रकार सवाल करेंगे तो उन पर इसी तरह से मामले दर्ज किए जाएंगे….?तो क्या होगा आम जनता का….?*
मिल रही जानकारी के अनुसार खरगोन जिले में रेत का अवैध उत्खनन काफी जोरों पर है। स्थानीय पत्रकारों के पास इस संबंध में खबरे थी कि बीजेपी युवा मोर्चा के नेता व खरगोन नगर के ठेकेदार दिनेश यादव और अमित भावसार द्वारा नियम विरूद्व अवैध रेत स्टॉक और रॉयल्टी दिए बिना टोकन के माध्यम से अवैध वसूली कर रहे थे। इसी बात को लेकर 6 पत्रकार बीते 1 जुलाई को जिला खनिज अधिकारी सावन चौहान के पास सवाल करने गए थे।
जिसमें पत्रकारों का आरोप है कि माइनिंग ऑफिसर प्रश्न पूछने पर उनके साथ अभद्रता करने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने पत्रकारों को गालियां देकर वहां से भगा दिया। इस बात की शिकायत करने सभी पत्रकार जिला कलेक्टर के पास पहुंचे तो पहले तो उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। लेकिन कलेक्टर ऑफिस से जब वे बाहर निकले तो उन्हें जानकारी मिली कि उल्टा उनके खिलाफ ही डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर ने थाने में एफआईआर कर दी है।
*उक्त पत्रकारों पर बिना वजह हुई FIR*
खरगोन कोतवाली में पत्रकार आसिफ खान (NDTV), प्रवीण पाल (मध्यप्रदेश खबर), वाहिद खान (स्टेट न्यूज़), पवन कुमार सोलंकी (दैनिक परिवर्तन), प्रदीप गांगले (नेशन टूडे) और धर्मेंद्र चौहान (दैनिक दीनबंधु) सभी निवासी खरगोन के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर सावन चौहान ने आईपीसी की धारा 147, 294, 353, 506 और 3(2)(V) के तहत एफआईआर दर्ज कराई है।
अगर इसी प्रकार से पत्रकारों व आमजनता की आवाज को दबाने के प्रयास होने लगे तो आने वाले समय में फिर से तानाशाही शुरू हो जाएगी. जिसमें कोई भी राजा से किसी प्रकार का सवाल नहीं कर सकता था. तानाशाह अपनी मन मर्जी से काम करते थे.
मामले में आगे ये देखना होगा कि इस बात पर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की क्या प्रतिक्रिया होगी..?
*FIR को लेकर क्यों खड़े हो रहे हैं सवाल….?*
खनिज अधिकारी चौहान ने अपने एफआईआर में गवाह उन दोनों ठेकेदारों को ही बनाया है जिनपर अवैध उत्खनन और स्टोरेज के आरोप हैं। दिनेश यादव व अमित भावसार जो बीजेपी युवा मोर्चा के नेता हैं और इलाके के दबंग बताए जा रहे हैं, वे ही नगर के ठेकेदार हैं और उन्होंने ही थाने में यह गवाही दी है कि उक्त पत्रकारों ने अधिकारी के साथ बदसलूकी की और सरकारी कार्यों में बाधा पहुंचाया।
बात यंही खत्म नही हुई पत्रकारों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले में खरगोन जिला पत्रकार संघ ने कहा है कि यह एफआईआर दुर्भावनावश की गई है। संघ के जिलाध्यक्ष सुनील शर्मा ने कलेक्टर परिसर में लगे कैमरों के फुटेज की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही एससी/एसटी एक्ट के तहत लगाई गई धाराओं को हटाने की मांग की है।
*उक्त मामले में खरगोन के प्रभारी मंत्री का कहना है की…*
खरगोन के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने बताया कि खरगोन में पत्रकारों पर गलत तरीके से एफआईआर दर्ज होने की जानकारी प्राप्त हुई। मैंने आज फोन पर पुलिस अधीक्षक (SP) खरगोन को मामले की निष्पक्षता से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
तीन महीने के अंदर MP में 14 पत्रकारों पर FIR हो चुकी हैं
मध्यप्रदेश में इन दिनों भ्रष्टाचार के मामलों में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले 3 महीने में मध्य प्रदेश में 14 पत्रकारों के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। सभी मामलों में एक ही समानता है। पत्रकार किसी ना किसी भ्रष्टाचार के मामले में अधिकारियों से सवाल कर रहे थे या फिर अधिकारियों की मर्जी के मुताबिक समाचार नहीं चला रहे थे।
*क्या कहते है खरगोन सांसद गजेन्द्र पटेल*
कहते है कि खरगोन के पत्रकारों के बारे में मुझे जानकारी मिली है में जनता की सेवा के लिए हमेशा खड़ा हूँ और जिस प्रकार देश के चौथे स्तम्भ याने पत्रकारों पर FIR हुई है में कहना चाहूंगा कि पत्रकार का अधिकार से सवाल कर जानकारी लेने का और अधिकारी को जवाब देने का हम पत्रकार भाइयो पर गलत नही होने देंगे हम उचित जांच करवाएंगे में जनता के साथ हुन और ततपरता से उनके साथ खड़ा हूँ।
वन्ही मामले में बताया तो यह भी जा रहा है कि कलेक्टर महोदया ने पत्रकारों की बात सुनना उचित नही समझा जब पत्रकारों ने अपना ज्ञापन दरवाजे पर रख प्रदर्श किया तो मेडम ज्ञापन को लांग कर बिना बात किए अपनी गाड़ी से रवाना हो गए।
खरगोन कलेक्टर के इस बर्ताव के लिए कलेक्टर को बर्खास्त किए जाने की मांग भी की जा रही है…?
खरगोन के पत्रकार एवं सभी पदाधिकारी इस बार राजनेताओ के झांसे में नहीं आएंगे और कार्यवाही लेकर ही रहेंगे चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े क्योंकि अगर आज पत्रकारों को इंसाफ नहीं मिला तो आम जनता को भी नहीं मिल पाएगा और कलेक्टर की बदसलूकी के लिए साथी भाजपा के उन कार्यकर्ताओं के लिए जिन्होंने झूठी गवाही दी उन पर भी क्या कार्यवाही करेंगे भाजपा के मंत्री गण एवं सांसद?