*श्योपुर:-सोयाबीन उत्पादन करने वाले किसानों को कृषि विभाग की आवश्यक सलाह*
श्योपुर:-सोयाबीन की फसल लेने वाले किसान भाईयों को कृषि विभाग द्वारा उपयोगी सलाह दी गई है। सभी किसान भाईयों से आग्रह किया गया है कि कृषि कार्य करते समय कोरोना नियंत्रण के लिये शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करें।
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री पी गुजरे ने किसान भाईयों से कहा है कि किस्मों का चयन, उत्पादक क्षमता, पकने की अवधि तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर अनुशंशित 2-3 किस्मों का चयन करें। प्रतयेक तीन वर्ष में एक बार गहरी जुताई अवश्य करें। उन्होंने यह भी सलाह दी है कि 4-5 वर्ष में अपने खेत में एक बार 10 मीटर के अंतराल पर आड़ी एवं खड़ी दिशा में सब- सोइलर चलवाएं। इसके साथ ही अंतरिम बखरनी के पूर्व पकी हुई गोबर की खाद 5 से 10 टन प्रति हैक्टेयर खेत में मिलाएं। किसान भाईयों को यह भी सलाह दी गई है कि मौसम की विपरीत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन की बोनी रिज एवं फरो पद्धति से करें। इससे अतिरिक्त पानी की निकासी व संचयन होने से सूखे की स्थिति में लाभ मिलेगा।
उप संचालक पी गुजरे ने किसान भाईयों से कहा है कि सोयाबीन की बोनी हेतु बीज मात्र 70 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रखा जाए। बोनी से पूर्व बीज को बीजोपचार दवा से उपचारित करके ही बोनी की जाए। पोषण प्रबंधन हेतु सोयाबीन फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति केवल बोनी के समय चयनित उर्वरकों के विभिन्न स्त्रोतों जैसे 56 किलोग्राम यूरिया 375 किलोग्राम फास्फेट व 76 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटास अथवा 125 किलोग्राम डीएपी 76 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटास सल्फर अथवा 200 किलोग्राम या मिश्रित उर्वरक 12/32/16 सल्फर की सम्पूर्ण मात्रा का उपयोग कर केवल सोयाबीन की बोनी करें।
किसान भाई खरपतवारों के प्रबंधन के लिये अपनी सुविधा अनुसार अनुशंसित खरपतवार नाशकों में से प्रयोग कर नियंत्रण करें। बोनी के पूर्व पेण्डीमिथालीन इमेझेथापायर 2.5-3 लीटर प्रति हैक्टेयर तथा बोनी के तुरंत बाद डायक्लोसूलम 84 डब्ल्यूडीजी 26 ग्राम या सल्फेन्ट्राजोन 48 एस.सी. 0.75 लीटर या क्लोमोझोन 50 ई.सी. 2 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें।