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वर्तमान समता, स्वतंत्रता, आपसी भाईचारे और न्याय मूलक भारतीय समाज का आधार स्तम्भ भारतीय संविधान

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वर्तमान समता, स्वतंत्रता, आपसी भाईचारे और न्याय मूलक भारतीय समाज का आधार स्तम्भ भारतीय संविधान

खेमराज आर्य

वर्तमान भारतीय सामाजिक परिदृश्य में जो समानता, स्वतंत्रता, न्याय, विचार अभिव्यक्ति, निष्पक्षता, अस्पृश्यता का अभाव, धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता, समन्वय, जनकल्याण, वंचित वर्गों का उत्थान व विकास आदि जो भी भारत को विश्व मंच पर जो सफलता के परचम लहरा कर राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, खेल, व्यवसायिक आदि क्षेत्रों में नया इतिहास लिखा जा रहा है उसमें बहुत बड़ी भूमिका 26, नवम्बर 1949 ई. को बनकर तैयार हुए और 26, जनवरी 1950 ई. को लागू हुआ भारतीय संविधान की हैं | इस भारतीय संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर की रहीं हैं | डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का पिता माना जाता है | डॉ भीमराव अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के मौलिक अधिकार को भारतीय संविधान की आत्मा कहा है | एक तरह से कहा जाये कि वर्तमान भारतीय सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए भारतीय संविधान एक आधारशिला का कार्य कर रहा है, जिस तरह एक भवन के निर्माण के लिए उसकी मजबूती और स्थायित्व के लिए आधारशिला यानि नींव की मजबूती आवश्यक है | वैसे ही भारतीय संविधान वर्तमान भारतीय समाज की आधारशिला का काम कर रहा है, क्योंकि वर्तमान में सभी जाति, वर्ण, लिंग, क्षेत्र, भाषा, धर्म, आदि से संबंधित व्यक्तियों को उनकी योग्यता के आधार पर समता और स्वतंत्रता के साथ विभिन्न राजनीतिक ,प्रशासनिक और सेवा क्षेत्रों में प्रगति और विकास का अवसर दिया जाता है| वे अपनी योग्यता को इनमें प्रमाणित करके अपनी इच्छानुसार जिस भी क्षेत्र में चाहे अपना कैरियर बनाने के लिए स्वतंत्र हैं |
भारतीय संविधान का निर्माण में प्राचीन भारतीय व मध्यकालीन ग्रंथों, ब्रिटिश सरकार द्वारा समय समय पर लाये गए विभिन्न सुधार अधिनियमों एवं विश्व के अनेक देशों के संविधानों से मानवतावादी, समतावादी, न्यायवादिता, स्वतंत्रतावाद आदि व्यवस्था को अपनाकर नये भारतीय समाज को नई दिशा देने के लिए सभी को बराबरी का अधिकार दिया गया है | बाल विवाह, सती प्रथा, जाति प्रथा, अस्पृश्यता, बहुविवाह, दहेज प्रथा आदि कुप्रथाओं को कानूनी रूप से समाप्त किया गया एवं विधवा पुनर्विवाह, एकल विवाह, योग्यता के अनुसार अवसर, धार्मिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वतंत्रतापूर्वक घूमने, फिरने, निवास करने, विवाह करने, व्यवसाय चुनने आदि अधिकार भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त हैं | भारतीय संविधान द्वारा भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया है यानि शासन को चलाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव वयस्क मताधिकार के द्वारा किया जाता है, बिना वंशानुगत व आर्थिक आदि आधारों के | भारत का प्रमुख भी ( राष्ट्रपति) चुनाव { सांसद और राज्यों की विधानसभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों } द्वारा ही चुना जाता है |
भारत के प्रत्येक नागरिकों को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार के साथ साथ मौलिक कर्तव्यों का का भी पालन करने की व्यवस्था की गई है | देश की एकता, अखण्डता को बनाये रखना, आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा व सुरक्षा करना, पर्यावरण का संरक्षण करना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व संवर्धन करना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाले देश के महान व्यक्तियों और स्वतंत्रता सैनानियों के आदर्शों का अनुसरण करना व अपनाना आदि प्रमुख मौलिक कर्तव्य हैं जिनका पालन करने की अपेक्षा भारत के प्रत्येक नागरिक से भारतीय संविधान करता है |
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धातों द्वारा भारत को एक लोक कल्याणकारी राज्य बनाने की व्यवस्था भी भारतीय संविधान में की गई है | सड़क, पूल, विद्यालय, अस्पताल, पार्क एवं अन्य सार्वजनिक संस्थाओं की स्थापना आवागमन, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि को सुचारू रूप से चलाने के लिए की गई है | जो कि भारत के प्रत्येक नागरिकों के कल्याण के लिए निरंतर और नियमित रूप से सफलतापूर्वक अपना कार्य ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही आदि के साथ कर रहीं है|

भारतीय संविधान आज के भारत के विकास के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि भेदभावपूर्ण, असमानता , अन्याय और अस्पृश्यता मूलक सामाजिक ढांचे को समाप्त करके समता, स्वतंत्रता और न्याय मूलक वर्तमान भारतीय समाज की संरचना का निर्माण हुआ है |

खेमराज आर्य
सहायक प्राध्यापक इतिहास
शासकीय आदर्श कन्या महाविद्यालय श्योपुर मध्यप्रदेश

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