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*‘‘ मिशन उम्मीद ‘‘ ने शत- प्रतिशत संस्थागत प्रसव की उम्मीद को रखा है बरकरार* *स्ट्रेचर से गर्भवती को लाए पहाड़ से नीचे और जननी से पहुंचाया स्वास्थ केंद्र, अब जच्चा-बच्चा दोनों है स्वस्थ*

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*‘‘ मिशन उम्मीद ‘‘ ने शत- प्रतिशत संस्थागत प्रसव की उम्मीद को रखा है बरकरार*

*स्ट्रेचर से गर्भवती को लाए पहाड़ से नीचे और जननी से पहुंचाया स्वास्थ केंद्र, अब जच्चा-बच्चा दोनों है स्वस्थ*

*बड़वानी:-जितेन्द्र भावसार*  जिले का विकासखंड पाटी यूं ही लोगों को अपनी ओर नहीं आकर्षित करता। यहां के पहाड़ लोगों को अपनी क्षमताओं को परखने का चैलेंज हर वक्त देते हैं । आज भी फलिया संस्कृति के कारण कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां से रोगी को मात्र स्ट्रेचर से ही लेकर नीचे पहुंच मार्ग तक पहुंचाया जा सकता है।
इन्हीं सब कारणों से जिले में  ‘‘ मिशन उम्मीद ‘‘  प्रारंभ की गई है । इसके अंतर्गत ऐसे दुर्गम क्षेत्र जहां वाहन नहीं पहुंच पाते वहां से बीमार एवं गर्भवती महिलाओं को लाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को उपलब्ध कराए गए हैं। जिससे आवश्यकता पड़ने पर इनके माध्यम से रोगी को पहाड़ से नीचे लाकर बेहतर  इलाज हेतु स्वास्थ केंद्र भेजा जा सके।
मंगलवार 25 मई को भी ‘‘ मिशन उम्मीद ‘‘  की केंद्र बिंदु गुड़ी के पखालिया फलिया की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुश्री मनीषा जमरे के सामने ऐसा ही प्रश्न खड़ा हो गया था । जब फलिया की रहवासी श्रीमती आमना पति राजाराम को दूसरी  डिलेवरी का लेबर पेन होने लगा। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने तत्काल जननी 108 को कॉल कर बुला लिया । किंतु पहाड़ से गर्भवती को लाना अपने आप में विकट था। ऐसे में कार्यकर्ता ने फोल्डिंग स्ट्रेचर का सहारा लिया और परिजनों के सहयोग से गर्भवती महिला को लगभग 2 किलोमीटर घुमावदार पगडंडियों के रास्ते से पहाड़ से उतारकर वाहन में लिटाया और गुड़ी के स्वास्थ केंद्र पहुंचाया।
जहां पर महिला ने ढाई किलो के स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया और अब जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। कोरोना काल में जब सबकुछ ठहरा हुआ है। ऐसे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ विभाग के अमले का यह प्रयास और सराहनीय हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि जिले के पहाड़ी क्षेत्र की इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा ने जिले में अपनी पदस्थापना के साथ ही ‘‘ मिशन उम्मीद ‘‘  जैसा नवाचार प्रारंभ किया था। जिसका उद्देश्य भी यही था कि जैसे भी हो, शत-प्रतिशत प्रसव संस्थागत ही हो।

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