*प्रथम शिक्षिका व हमारी प्रेरणा सावित्री बाई फुले की पुण्यतिथि पर उनके चरणों मे मेरे एक कविता शमर्पित*
*डॉ. सावित्री भगोरे*
*माँ देवी सावित्री शिक्षिया की आप अग्रणी*
*नारी को शक्तिशाली बनाने वाली आप जग में थी न्यारी*
*हौसला बुलन्द कर नारी का, बनी आप हम सब की प्यारी*
*जब थी धरा पर मौजूद नही कहलाई तुम प्रथम शिक्षित नारी*
*हम नारी नतमस्तक है आपके अलख जगाने वाले हौसले पर*
*आप ही तो हो जो लगती हो आज भी हमे दुनिया मे सबसे प्यारी*
*आप ने ही दीपक जलाया प्रथम शिक्षिका बन समाज मे*
*जो गुमान करती है आप पर आज की शिक्षित नारी*
*मैं तो आपके नाम को माता-पिता से पा कर हुई धन्य*
*तो बड़ी हो कर आपके करकदमो पे चल कर शिक्षिया को ही अपनाया,*
*प्रेरणा आपकी बनू में आज हमारी है बारी*
*कर कदमो पे में चल रही तुम्हारे में तो हुँ तुम्हारी आभारी*
*गुमान करती हुँ की मिला मुझे सावित्री नाम व शिक्षया रूपी काम भी तुम्हारा*
*देना आशीष मुझे की दूर तलक चलू आपके कर कदमो पर*
*ओर जगा पाऊँ दुनिया मे अलख शिक्षा की कहलाउ शीर्ष नारी*
*भले ही में तो जग की बनू एक उच्च शिक्षित नारी*
*पर रहना चाहूंगी मैं कदमो में तुम्हारी*
*मिला जो मुझे भी नाम तुम्हारा खुद में डॉ.सावित्री कहलाई*
*दे दो मां आशीष मुझे भी, चलूं तुम्हारे कदमों पर।*
*मान बढ़ाऊ सदा तुम्हारा ध्यान लगाऊं शिक्षा पर*
*नमन करती हूं आपके हौसले जज्बे, शिक्षया को*
*जिससे ले प्रेरणा आज की नारी*
*जो बन गई जग में सबकी राजदुलारी*