*वाचन के लिए हुआ शोधपत्रों का चयन, आदर्श महाविद्यालय के डॉ. परवीन व प्रो. आर्य को बधाई*
*श्योपुर।एस.यादव*
अक्सर आज के दौर में शिक्षा का स्तर तो जोर-सोर से बढ़ाने का कार्य शासन-प्रशासन द्वारा किया जा रहा है तो वन्ही नित नई शिक्षा नीतियों को लागू कर शिक्षकों व छात्रों में एक नई ऊर्जा का विकाश किया जा रहा है। लेकिन विलुप्त होती हमारी संस्कृति, भाषाओं, लेखों व ऐसे कई समुदाय जो कि अब कम ही दिखाई देते है लेकिन इनकी भाषा व संस्कृति को आज भी कई लेखकों शिक्षकों द्वारा जीवंत बनाया जा रहा है। ऐसा ही कार्य श्योपुर आदर्श कन्या महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों द्वारा किया गया जिसमें इनके द्वारा बंजारा समुदाय को करीब से जाना व इस समुदाय की बोली, कला व इनके विकास को लेकर “घुमंतू समुदाय: वांछित परम्पराएँ ” विषय पर । “श्योपुर के विमुक्त बंजारा समुदाय की लोक संस्कृति” शीर्षक पर आधारित शोध किया गया है जिसके अंतर्गत जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी (जनजातीय संग्रहालय) भोपाल द्वारा डाँ धर्मेन्द्र पारे के निर्देशन में “घुमंतू समुदाय: वाचिक परम्पराएँ ” विषय पर तीन दिवसीय संगोष्ठी 19 से 21 अक्टूबर तक प्रस्तावित है। जिसमे वाचन के लिए शा. आदर्श कन्या महाविद्यालय श्योपुर की सहायक प्राध्यापक डाँ परवीन वर्मा एवं सहायक प्राध्यापक खेमराज आर्य के संयुक्त शोधपत्र का चयन किया गया है।। “श्योपुर के विमुक्त बंजारा समुदाय की लोक संस्कृति” शीर्षक पर आधारित शोधपत्र के चयन पर शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसडी. राठौर एवं शा. आदर्श कन्या महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो. एके दोहरे ने सहायक प्राध्यापको को बधाई दी है।