*“शूरवीरों की सेवा में कार्यरत रक्षा लेखा विभाग”*
“`1750 में स्थापित पुरातन विभागों में है जिसकी अद्भुत पहचान।
जो अपनी उत्कृष्ट कार्यशैली से गौरवान्वित कर रहा देश का मान॥
लेखांकन, लेखापरीक्षा एवं वित्तीय सेवाओं में दक्षता से कार्य है उद्देश्य।
देश के शूरवीरों की सेवा करना यहीं है रक्षा लेखा विभाग का परिप्रेक्ष्य॥
तत्काल लेखांकन, भुगतान एवं वित्तीय सलाह के लिए जो है प्रतिबद्ध।
रक्षा लेखा विभाग तो है रक्षा मंत्रालय से सम्बद्ध॥
सालो-साल से यह विभाग दे रहा रक्षासेवा के कार्य को अंजाम।
रक्षा लेखा विभाग दे रहा देश को उन्नति के नवीन आयाम॥
उत्कृष्ट सेवाभावना और कार्यक्षमता बढ़ा रही इस विभाग की महिमा।
वीर सैनिको को सेवाएँ प्रदान कर सभी बढ़ा रहे पद की गरिमा॥
यह विभाग सटीक लेखा-जोखा रखने में रखता सदैव तत्परता।
साथ ही यह संकल्प लेता कि प्रयासों से बढ़ाएँगे कार्य कुशलता॥
भारतीय सैन्य जवान तो देश की सुरक्षा के है उन्नायक।
सेना के वेतन भुगतान में भी है इस विभाग की भूमिका निर्णायक।।
`देश के पुरातन विभागों में से एक इस विभाग के कार्यों का होता गुणगान।
वीरों के लेखांकन संबंघित कार्यों को करना बनाता इन्हें महान॥
रक्षा लेखा विभाग निरंतर करता रहें उन्नति अनवरत।
सभी मिलकर कहते हम सदैव रहेंगे उन्नति के लिए प्रयासरत॥
चहुं ओर फैले देश के पुरातन विभाग की उन्नति का प्रवाह।
डॉ. रीना कहती, रक्षा लेखा विभाग को मिलें उन्नति की सदैव राह॥“`
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*