*शिवराज मामा (सीएम) का ये कैसा युवा संवाद….?*
*एक तरफ तो दो वर्षों बाद हो रही बैचलर,मास्टर, बीएड की ऑफलाइन परीक्षाए दूसरी तरफ युवा संवाद*
*प्रोफेसर व छात्र दुविधा में परीक्षा करवाए या छात्रों को युवा संवाद में ले जाएं छात्र परीक्षा की तैयारी करे या मामा का संवाद सुने*
*श्योपूर:-संजय यादव बाबा*
मोदीजी के कदमो पे चलने वाले मामाजी सिर्फ कदमो पे चलना सिख रहे है। न कि उनकी सोच पर मोदीजी ने स्कूली छात्रों से परीक्षा के बाद संवाद किया लेकिन हमारे सीएम साहब व उच्चशिक्षा मंत्री ये सायद भूल गए कि फिलहाल दो वर्षों बाद कॉलेजों में बीए,बीकॉम,एम एस सी, एमकॉम ,बीएड आदि विषयो के छात्रों की परीक्षा आयोजित हो रही है। जो लगभग 16 मई तक चलना है । जंहा आज ऑनलाइन सीएम साहब ने “युवा संवाद” का आयोजन रखा है वन्ही आज कुछ विषय के छात्रों की परीक्षा भी होना है ऐसी स्थिति में छात्र परीक्षा दे या युवा संवाद में जुड़े वन्ही दूसरी तरफ ये भी बात सामने आ रही है कि कुछ प्रोफेसर जिनकी ड्यूटी परीक्षा में लगाई गई है उन्हें बच्चों को युवा संवाद में कन्हि कलेक्टर ऑफिस तो कन्हि जिला पंचायत में ले जाने का भी दबाव बना दिया है हम बात करे श्योपूर जिले के अग्रणी महाविद्यालय की तो यँहा भी कुछ प्रोफेसर की डयूटी परीक्षा में लगी है लेकिन उन्हें भी छात्रों को युवा संवाद के लिए यँहा स्थित निषादराज भवन लेजाने के फरमान जारी कर दिए गए है। ऐसे में एक अधिकारी व छात्र दो काम कैसे करेगा इन प्रश्नों का उत्तर तो सीएम साहब, उच्चशिक्षा मंत्री जी या इनके उच्च अधिकारी ही बता सकते है। की शिक्षक परीक्षा ले या युवा संवाद में छात्रों को ले जाए वन्ही छात्र परीक्षा दे,परीक्षा की तैयारी करें या युवा संवाद में जाए इन छात्रों व प्राध्यापको के सामने यह दुविधा है कि वो क्या करे।
एक तरफ तो मुख्यमंत्री जी व उच्चशिक्षा मंत्री जी युवाओं को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए नित नए फरमान जारी कर रहे है वन्ही कन्हि नए कॉलेजों की नींव रख रहे है तो कंही कॉलेजों के फीते कांट रहे है। तो कई ऐसे मॉडल कॉलेज बन कर वर्ष से तैयार है जो आज भी फीता कटने की बाट झो रहे है और असामाजिक तत्वों के शराब के अड्डे बनते जा रहे है। श्योपुर का ही आदर्श गर्ल्स मॉडल कॉलेज फिछले एक वर्ष से बनकर तैयार है लेकिन इस ओर किसी नेता अधिकारी का ध्यान नही है। जबकि यँहा आदर्श गर्ल्स कॉलेज अग्रणी महाविद्यालय में चल रहा है यँहा छात्राएं , महिला प्राध्यापक बिना पँखो, टॉयलेट, पानी के इस भीषण गर्मी का सामना करने को मजबूर है।
और इस बार जब दो वर्षों बाद ऑफलाइन परीक्षा आयोजित की जा रही है तो छात्रों की पढ़ाई के साथ बीच परीक्षा में इस प्रकार के आयोजन कर सरकार इन्हें किस दिशा में ले जाने का प्रयास कर रही है कंही आने वाले चुनावों के लिए वोटबैंक की ये तैयार तो नही….?