*जन-भागीदारी से होगी अब प्रदेश में हरियाली मुख्यमंत्री चौहान ने नर्मदा जयंती से अब तक लगाए 131 पौधे*
बाबा यादव
श्योपुर:- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जन-सहभागिता से बड़े संकल्पों को पूरा करने में सफलता पाई है। हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये मुख्यमंत्री चौहान ने हमेशा ही प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर जन-समुदाय को वृक्षारोपण के वृहद अभियान से जोड़ने का सफल प्रयास किया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का नियंत्रण जन-भागीदारी मॉडल की वजह से ही संभव हुआ है। ग्राम, वार्ड, नगर और जिला स्तर पर बनी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियाँ, जन-प्रतिनिधि, स्वयंसेवी संगठनों, स्व-सहायता समूहों और कोरोना वालेंटियर्स की सक्रियता और पहल ने कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने और स्व-नियंत्रण की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत की परिणाम स्वरूप अब प्रदेश बेहतर स्थिति में हैं। कोरोना की आपदा में जनता की पहल और ऊर्जा को निश्चित दिशा मिली।
*प्रदेश के स्थाई हित में होगा जन-भागीदारी की ऊर्जा का उपयोग*
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जन-भागीदारी की इस ऊर्जा का प्रदेश के दीर्घकालीन और स्थाई हित में उपयोग करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण अभियान में भी जन-जन को जोड़ने की दिशा में कार्य आरंभ किया। एक सच्चे जन-नेता के रूप में इसकी पहल स्वयं से की। नर्मदा जयंती 19 फरवरी को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया और निरंतर उसे पूरा किया। यह प्रदेश की जनता के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करने का प्रयास था। मुख्यमंत्री श्री चौहान इस क्रम में अब तक 131 पौधे लगा चुके हैं।
पेड़ लगाना आनंद की अनुभूति है
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पचमढ़ी में उनके द्वारा 2016 में लगाए गए आम के पेड़ में आये फल को देखकर ट्वीट किया है कि ष्आप भी जब पौधा लगाएँगे, उसकी देखभाल करेंगे और जब वह पेड़ बड़ा होकर आपको फल देगा तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि उससे ज्यादा आनंद की अनुभूति आप को नहीं होगी।ष् मुख्यमंत्री चौहान का यह आत्मानुभूति का भाव उनकी, सबको साथ लेकर चलने की भावना को दर्शाता है। प्रदेश के विकास की बात हो, जनता के कल्याण की बात हो या चुनौतियों का सामना करने का समय हो, मुख्यमंत्री चौहान प्रदेश की जनता को साथ लेकर चले हैं।
*प्रकृति की शक्तियों के साथ सामन्जस्य जरूरी*
मुख्यमंत्री चौहान प्रदेशवासियों को वृक्षारोपण अभियान से भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। वे प्रायरू जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से लोगों को आगाह करते हैं। मुख्यमंत्री चौहान प्रायरू जनता से संवाद में कहते हैं कि तन-मन और धन से भी ऊपर वन, प्रकृति और पर्यावरण को रखना हमारी संस्कृति हमारा संस्कोर है और इसका पालन आवश्यक है। कोरोना ने ही हमें इस दिशा में सीख दी है कि मानव अस्तित्व के लिए प्रकृति की शक्तियों के साथ सामन्जस्य रखना जरूरी है। इसके लिए धरती की हरियाली बढ़ाना सबसे सरल उपाय है। यह ऐसा कार्य है जो प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर कर सकता है। वृक्ष लगाने और इसकी देखभाल करने से धरती पर न केवल ऑक्सीजन बढ़ेगी अपितु सम्पूर्ण जीवन ऊर्जा की वृद्धि होगी। वृक्ष जीवित ऑक्सीजन प्लांट हैं। मुख्यमंत्री चौहान का मानना है कि भारतीय संस्कृति में पौधों के रोपण को शुभ कार्य माना गया है। वृक्ष पूजनीय है, क्योंकि उन पर देवताओं का वास माना गया है। कई भारतीय संस्कारों, व्रतों और त्योहारों के माध्यम से वृक्षों की पूजा-अर्चना की परम्परा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 10 जून को वटसावित्री अमावस्या के अवसर पर पचमढ़ी में बरगद का पौधा लगाकर लोकोपयोगी संदेश दिया कि प्राणवायु का यह बड़ा स्रोत वास्तव में प्राण-रक्षक है। मुख्यमंत्री चौहान वृक्षों को जीवित ऑक्सीजन प्लांट की उपमा देते हैं।