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पुस्तकालय से ही होता है पाठको की ज्ञान क्षमता का निर्माण एवं विकास

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डीएनयु टाईम्स (धर्मेंद्र सोनी, इंदौर)

इंदौर।श्री वैष्णव वाणिज्य महाविद्यालय, इंदौर द्वारा दिनांक 6 जून 2020 शनिवार को “वर्तमान स्थिति में पुस्तकालय का महत्व एवं भविष्य में इसका प्रभाव। ” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया । मुख्य वक्ताओं के रूप में
डॉ श्रीमती मीनल केदार ओकलाइब्रेरियन, (चयन ग्रेड),
एमईएस इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और कैरियर कोर्सेस, पुणे एवं MANLIBNET (प्रबंधन पुस्तकालय नेटवर्क भारत की ईसी निकाय सदस्य ) , श्री प्रसून तिवारी , उप महाप्रबंधक-सामग्री विकास, टैक्समान पब्लिकेशन प्रा.लि., नई दिल्ली एवं डॉ जी डी अग्रवाल, सेवानिवृत्त लाइब्रेरियन एवं अध्यक्ष, इंदौर संभाग पुस्तकालय संघ रहे।
श्रीमती मीनल केदार ओक ने बताया कि पुस्तकालय ही पाठकों की ज्ञान क्षमता का निर्माण एवं विकास का सुदृढ़ साधन है।उन्होंने ताम्रपत्र से लगाकर डिजिटल पुस्तकालय तक के सिलसिलेवार ब्यौरे से अवगत करवाया।कोविड 19 से उपजी समस्याओं के बीच पुस्तकालय के भविष्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ ओक ने कहा कि सभी शोधकर्ताओं और पेशेवर लोगों को अब ऑनलाइन साइड्स के जरिये अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करना होगी।आज गूगल सेक्टर में 14,722 जर्नल्स और करोड़ों आलेख उपलब्ध है।शोधगंगा, शोधगंगोत्री,इपीजी पाठशाला इत्यादि साइड्स मौजूद हैं।भारत मे आज आरोग्य सेतु की जागरूकता हेतु ग्रन्थालय अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
श्री प्रसून तिवारी ने बताया कि किताबें हमेशा हमारी मार्गदर्शक रहेंगी, चाहे हम आज की बात करें, बीते कल की या आने वाले कल की।
डॉ जी.डी.अग्रवाल ने पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ रंगराजन द्वारा प्रतिपादित पुस्तकालय के पांच नियमों को दोहराते हुए उनकी वर्तमान परिदृश्य में व्यावहारिकता पर प्रकाश डाला और पुस्तकालय खुलने पर उचित सावधानी किस प्रकार रखे यह भी समझाया। साथ ही ई लाईब्रेरी के स्रोत एवं उनके उपयोग पर भी वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
वेबिनार का उदघाटन डॉ अरविन्द सिंग कुलसचिव,श्री वैष्णव विद्यापीठ विवि ने करते हुए कहा कि आज ग्रन्थालय पुस्तकों का संग्रह ही नही ज्ञान का मंदिर है।
वेबिनार के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.परितोष अवस्थी ने स्वागत भाषण दिया।वेबिनार के तकनीकी प्रभारी प्रो.राकेश उपाध्याय थे व ग्रन्थालय समिति समन्वयक डॉ मंदीप कौर छाबड़ा थी।प्रेरणास्त्रोत श्री पुरुषोत्तमदासजी पसारी(कुलाधिपति वैष्णव विद्यापीठ विवि),श्री देवेन्द्र कुमार जी मुछाल(सचिव,वैष्णव कपड़ा बाजार समिति),श्री मनोहर जी बाहेती(अध्यक्ष,महाविद्यालय शासी निकाय),श्री देवेन्द्र कुमार जी नागर(सचिव,महाविद्यालय शासी निकाय) थे।वेबिनार का प्रभावी संचालन समन्वयक प्रो.विभोर ऐरन ने किया तथा आभार ग्रन्थपाल डॉ.सन्ध्या पुरोहित ने माना।

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